आधार,टैक्स,गाडी…निपटा लें यह जरूरी 4 काम, नही तो जुर्माना ; नए साल की शुरुआत के साथ ही 1 जनवरी 2025 से कई महत्वपूर्ण वित्तीय और व्यावसायिक नियमों में बदलाव होने जा रहा है। ये बदलाव आपकी जेब और रोजमर्रा की जिंदगी पर सीधा असर डालेंगे। यदि आपने 31 दिसंबर तक अपने जरूरी काम नहीं निपटाए, तो आपको भारी जुर्माना भरना पड़ सकता है या वित्तीय नुकसान उठाना पड़ सकता है।
यहाँ उन मुख्य बदलावों और कार्यों की जानकारी दी गई है जिन्हें आपको समय रहते पूरा कर लेना चाहिए:
महंगी हो सकती हैं गाड़ियां ऑटोमोबाइल सेक्टर में मूल्य वृद्धि: नए साल से मारुति सुजुकी, एमजी मोटर्स, टाटा और हुंडई जैसी प्रमुख कंपनियों की कारें महंगी होने वाली हैं। एमजी मोटर्स ने पहले ही कीमतें बढ़ाने की घोषणा कर दी है, जबकि बीएमडब्ल्यू अपनी कारों के दाम में 2 से 3 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी करने जा रही है। यदि आप नई कार खरीदने की योजना बना रहे हैं, तो 31 दिसंबर तक खरीदारी करना आपके लिए फायदे का सौदा हो सकता है।
बचत योजनाओं पर असर स्मॉल सेविंग स्कीम्स की ब्याज दरों में कटौती: आरबीआई द्वारा रेपो रेट में कटौती किए जाने के बाद, ऐसी संभावना है कि 31 दिसंबर को सरकार छोटी बचत योजनाओं (जैसे पीपीएफ, सुकन्या समृद्धि आदि) की ब्याज दरों में कमी की घोषणा कर दे। इसमें करीब 11 बचत योजनाएं शामिल हैं। ब्याज दरों में गिरावट आने से आम आदमी को अपनी जमा पूंजी पर मिलने वाले रिटर्न में कमी का सामना करना पड़ सकता है।
पैन और आधार की लिंकिंग इनएक्टिव हो सकता है आपका पैन कार्ड: जिन लोगों ने अभी तक अपने पैन कार्ड को आधार से लिंक नहीं किया है, उनके लिए 31 दिसंबर आखिरी मौका है। यदि आप ऐसा करने में विफल रहते हैं, तो आपका पैन कार्ड निष्क्रिय (Inactive) हो जाएगा। इसके बाद आप न तो इनकम टैक्स रिटर्न फाइल कर पाएंगे और न ही बैंक खातों या म्यूचुअल फंड से जुड़े जरूरी काम कर सकेंगे। साथ ही, आपका फंसा हुआ टैक्स रिफंड भी रुक सकता है।
इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइलिंग आईटीआर और रिफंड का नुकसान: वित्त वर्ष 2024-25 के लिए विलंबित आयकर रिटर्न (Late ITR) फाइल करने की अंतिम तिथि भी 31 दिसंबर है। इस तारीख के बाद आप अपना आईटीआर फाइल नहीं कर पाएंगे, जिससे न केवल आपको जुर्माना भरना होगा, बल्कि आप अपने टैक्स रिफंड पर भी दावा नहीं कर सकेंगे। विशेषज्ञों के अनुसार, समय सीमा समाप्त होने के बाद रिफंड का पैसा सरकार के पास चला जाता है, जो करदाताओं के लिए एक बड़ा वित्तीय नुकसान है।